Sunday 23 September 2018

कोशिस ......… !!! 
(भाग - २ )

कोशिस आखिर कर ही ली मैंने ,
वो आखिर भी , जिसे मैंने करने से अपने आप को रोका हुआ था। 

फिर क्या था , हो गयी शुरू जहाँ से छोड़ा था,
तोड़े दिन सही चला , फिर वही। .. 

लगा की, क्यों की मैने कोशिस , फिर से। 
जो पहले था , और जो किया था , सही था वही । 

पर निकम्मा दिल था , जो ये  गलती कर बैठा , फिर से ,
पूछो तो कहता है , में क्या करू ...... नहीं होता मुझ से ,

मैने बोला था, की थोड़ा कठोर बन जा,
पर ये थोड़ा तो हो गया , पर शायद इतना काफी नहीं था ।
तभी तो हो गया फिर से.........  कोशिस कर रहा हूँ , फिर से। 

अश्रु का थोड़ा सहारा हे, और ये उदासी साथ दे देती है 
वरना तो जीना मुश्किल है 
थोड़ा टूट रहा हु , थोड़ा थक रहा हूँ 
 मै ,कर क्या रहा हूँ ......?

उम्मीद से आशा है ,की सब सही हो जाएगा ....... 
पर अभी तो ऐसा नहीं है ,

कोशिस कर रहा हू , थोड़ा मर  रहा हू ,
देख़ते है , क्या होगा आगे। ......... 
जो भी हो , अगर मैने जैसा सोचा है ,वैसा हो तो अच्छा है ,
वरना,...... 
कोशिस , तो कर ही रहा हूँ। 





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