कोशिस ......… !!!
(भाग - २ )
कोशिस आखिर कर ही ली मैंने ,
वो आखिर भी , जिसे मैंने करने से अपने आप को रोका हुआ था।
फिर क्या था , हो गयी शुरू जहाँ से छोड़ा था,
तोड़े दिन सही चला , फिर वही। ..
लगा की, क्यों की मैने कोशिस , फिर से।
जो पहले था , और जो किया था , सही था वही ।
पर निकम्मा दिल था , जो ये गलती कर बैठा , फिर से ,
पूछो तो कहता है , में क्या करू ...... नहीं होता मुझ से ,
मैने बोला था, की थोड़ा कठोर बन जा,
पर ये थोड़ा तो हो गया , पर शायद इतना काफी नहीं था ।
तभी तो हो गया फिर से......... कोशिस कर रहा हूँ , फिर से।
अश्रु का थोड़ा सहारा हे, और ये उदासी साथ दे देती है
वरना तो जीना मुश्किल है
थोड़ा टूट रहा हु , थोड़ा थक रहा हूँ
मै ,कर क्या रहा हूँ ......?
उम्मीद से आशा है ,की सब सही हो जाएगा .......
पर अभी तो ऐसा नहीं है ,
कोशिस कर रहा हू , थोड़ा मर रहा हू ,
देख़ते है , क्या होगा आगे। .........
जो भी हो , अगर मैने जैसा सोचा है ,वैसा हो तो अच्छा है ,
वरना,......
कोशिस , तो कर ही रहा हूँ।
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