कोशिश !!!
बहुत कोशिश की उसको मानाने की ,पर में हर गया।
सब से लड़ लिया पर , तेरी जिद से जीत नहीं पाया। .
कोशिस कर कर के हर गया ,फिर कर के आखिरी भी ,
पर मन का विश्वास था , पर वो भी हार गया।
अब तो उम्मीद न थी ,पर सच पूछो तो आस है बाकी,
वास्तविकता और उम्मीद की लड़ाई है ,बाकी।
अभी शायद और कोशिस है बाकी।
हारता में रोज हु ,सोचता हु जीत पाऊँगा
अब तो हर शाम , हार ही होती है ,
और रोज सुबह, उम्मीद में कोशिस जीत की।
ये कैसा भाव है ,बता नहीं सकता ,
कैसे खड़ा हु समझा भी नहीं सकता ,
रोज कैसे कर लेता हु,हैरान तो मै भी हूँ ,
इस मानव रूप में कौन हु, कोई समझा भी नहीं सकता।
तुज से कैसे कह दू ,की तू गलत है ,
तू तो बिना कुछ कहे ही अलग है।
हर बार तेरा उल्टा -सीधा सुन लेता हु ,
क्योकि सिर्फ एक यही तो आस है
कम से कम मेरे पास है।
तेरी हार बात मुझको सिर्फ कोसतीं है
नोचती है ,
नफरत होगी इतनी ,सोचा तो नहीं कभी था
पर ये बात दिल पे लगती है, पर तू मुझे बहुत अच्छी लगती है।
डरता हु की , तू छोड़ के न चली जाये मुझको
इसलिए थोड़ा सुन लेता हूँ , रो लेता हूँ।
तोड़ी और कोशिस कर लेता हूँ।
बस थोड़ा टुटा हूँ , हार गया हूँ
कोशिस की थी आखरी , फिर तेरी जिद जीत गयी
सोचा आखरी कोशिस , एक और सही
फिर मिल गयी उसमे हार ,सही। .....
…
सोचा एक बार अंतिम कोशिस और ,कर लेता हु,
पर बस ,बहुत हुआ ये कोशिश-कोशिस
फिर और कभी होगी ये ,अंतिम कोशिस,
पर आज नहीं होगी , ये अंतिम कोशिस।!!!!!!!!!!!!