Saturday 15 September 2018

कोशिश !!!

बहुत कोशिश  की उसको मानाने की ,पर में हर गया। 
सब से लड़ लिया पर , तेरी जिद से जीत नहीं पाया। .

कोशिस कर कर के हर गया ,फिर कर के आखिरी भी ,
पर मन का विश्वास था , पर वो भी हार गया। 

अब तो उम्मीद न थी ,पर सच पूछो तो आस है बाकी,
वास्तविकता और उम्मीद की लड़ाई है ,बाकी। 
अभी शायद और कोशिस है  बाकी। 

हारता में रोज हु ,सोचता हु जीत पाऊँगा 
अब तो हर शाम , हार ही होती है ,
और रोज सुबह, उम्मीद में कोशिस जीत की। 


 ये कैसा भाव है ,बता नहीं सकता ,
कैसे खड़ा हु समझा भी नहीं सकता ,
रोज कैसे कर लेता हु,हैरान तो मै भी हूँ ,
इस मानव रूप में कौन हु, कोई समझा भी नहीं सकता। 

तुज से कैसे कह दू ,की तू गलत है ,
तू तो बिना कुछ कहे ही अलग है। 
हर बार तेरा उल्टा -सीधा सुन लेता हु ,
क्योकि सिर्फ एक यही तो आस है 
कम से कम मेरे पास है।  

तेरी हार बात मुझको सिर्फ कोसतीं है 
नोचती है ,
नफरत होगी इतनी ,सोचा तो नहीं कभी था 
पर ये बात दिल पे लगती है, पर तू मुझे बहुत अच्छी लगती है। 
डरता हु की , तू छोड़ के न चली जाये मुझको 
इसलिए थोड़ा सुन लेता हूँ , रो लेता हूँ। 
तोड़ी और कोशिस कर लेता हूँ। 

बस  थोड़ा टुटा हूँ , हार गया हूँ 
कोशिस की थी आखरी , फिर तेरी जिद जीत  गयी 
सोचा आखरी कोशिस , एक और सही 
फिर मिल गयी उसमे हार ,सही। .....


सोचा एक बार अंतिम कोशिस और ,कर लेता हु,
पर बस ,बहुत हुआ ये कोशिश-कोशिस 
 फिर और कभी होगी ये ,अंतिम  कोशिस,
पर आज नहीं होगी , ये अंतिम कोशिस।!!!!!!!!!!!! 

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